January 2020
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Simple Meditation Techniques


There are hundreds of meditations described, and one only has to surf the internet to see the plethora of meditation techniques. What I am about to describe, is one more kind of meditation, which is both extremely easy and extremely difficult to do, simultaneously. I have called it nothing meditation. We keep the rules to the minimum and make it as simple as we can.
Without much ado, a quick look at nothing meditation. Here are the steps
1. Sit in a quiet calm place, relaxed, where you will not be disturbed for a few minutes, taking care to put off all electronic media, and wearing loose-fitting clothes.
2. Any comfortable position is fine---sitting, standing, lying down.
3. Breathe slowly, focussing on your in-breath and out-breath. The breath should be the long, deep inspiration and deep expiration, and eventually, you should be taking four or five breaths per minute (as opposed to the normal twenty per minute that we take, unconsciously). Slowing of the breath slows down the brain waves and makes us relaxed.
4. There is only one rule---you are not allowed to think any thoughts which come from the realm of the known. By this, what is meant is that whatever you know--yourself, your body, your thoughts, your fears, joys, happiness, worries, anxieties, achievements, failures, your relationships, your possessions, your job, your current and past problems, your shortcomings, things that you see or have seen, heard, touched, tasted, smelt, thought about----basically nothing that is known, seen, heard, felt, or imagined, about yourself or about the world around you, from your birth till now---is allowed. You are not allowed to think anything related to you or your possessions or anything that you can think, in this Universe
5. Every thought that crops up is analyzed and if it is coming from the known, it has to be given up.
6. Eventually, when you have exhausted all the thoughts about things you know, imagine, possess, or own, or have seen and experienced, or heard from others, or read about, you are left with NOTHING
7. You have bypassed the realm of the 'known' and now are left with only that which is beyond the known.
8. What that is, I cannot say, because when we say it, it goes from unknown to known. If can only be experienced, or maybe non-experienced.
Try it out today...
Happy meditation.

Best diet plan for weight gain

If you really want to gain weight than you have to start your day early morning. There are several Indian foods which can help you gain weight, first of all, you have to make a mindset about the food which you want to eat.

  • Start your day with drinking 1-2 Glass of water after that do a little stretching.
  • Drink a cup of coffee and take rest for half an hour.
  • Do some push-ups.
  • After doing some exercise Eat Dalia with some nuts.
  • Replace dalia with banana shake with flax seeds in it (alternate days).
  • In lunch take curd and rice with your regular meal.
  • Eat chicken in lunch at least two days a week.
  • In the evening take at least two eggs with a milkshake or eat paneer.
  • Take small meals (5-6 meals a day).
  • Eat at least two bowls of pulses every day.
  • Eat green vegetables.
  • The most important thing drink lots of water (at least 4-5 Litre a day).

After trying this at least for a month you will surely get results.

 Best Foods to Eat in the Morning for weight loss

1.Idli


Idli or idly is a type of rice made cake, it is originating from the south Indian part, very popular and healthy breakfast foods in southern India in Tamil , Karnataka Etc. The Rice cakes are made by steaming a batter consisting of rice.

2.Poha

Poha is made of processed flattened rice and it will be roasted with chilies , onions, mustard and cumin seeds and also with curry leaves. It is a high carbohydrate, low fat, quick meal that can be made in minutes. Poha is easily available in most tea shops and other restaurants.

3.Dhokla

Dhokla is a veg food that can found mainly in the Gujarat state of India and also in connected states. It is made with a fermented batter derived from rice and split chickpeas. Dhokla can be eaten for breakfast, as a main course, as a side dish, or as a snack.

4.Moong Dal Chila
It s nutrition-packed yummy Indian dish or crepes made with mung dal, spinach and spices.Moong dal ka chilla is one of the easiest breakfast recipes to make. Being a powerhouse of nutrition it indeed keeps you energetic all day. 

5.Anda Bhurji


Egg bhurji is a dish originating from the India. It is made with scrambled eggs and onions and chilies. The difference lies in its preparation and addition of sautéed chopped onions, chilies and optional spices. It is served with rotis or naan or pav/bread in Mumbai.

Vande matram full song lyrics

सुजलां सुफलां मलयजशीतलां
शस्यश्यामलां मातरम्!
शुभ-ज्योत्सना-पुलकित-यामिनीम्
फुल्ल-कुसुमित-द्रमुदल शोभिनीम्
सुहासिनी सुमधुर भाषिणीम्
सुखदां वरदां मातरम्!
सन्तकोटिकंठ-कलकल-निनादकराले
द्विसप्तकोटि भुजैर्धृतखरकरबाले
अबला केनो माँ एतो बले।
बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं
रिपुदल वारिणीं मातरम्!
तुमि विद्या तुमि धर्म
तुमि हरि तुमि कर्म
त्वम् हि प्राणाः शरीरे।
बाहुते तुमि मा शक्ति
हृदये तुमि मा भक्ति
तोमारइ प्रतिमा गड़ि मंदिरें-मंदिरे।
त्वं हि दूर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमल-दल विहारिणी
वाणी विद्यादायिनी नवामि त्वां
नवामि कमलाम् अमलां अतुलाम्
सुजलां सुफलां मातरम्!
वन्दे मातरम्!
श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषिताम
धमरणीं भरणीम् मातरम्।



गणतन्त्र दिवस भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है। इसी दिन सन् 1950 को भारत सरकार अधिनियम (एक्ट) (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था। एक स्वतंत्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज स्थापित करने के लिए संविधान को 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे एक लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया था। 26 जनवरी को इसलिए चुना गया था क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई० एन० सी०) ने भारत को पूर्ण स्वराज घोषित किया था। यह भारत के तीन राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है, अन्य दो स्‍वतंत्रता दिवस और गांधी जयंती हैं।


मेरा भोला है भंडारी करे नंदी की सवारी


Mera Bhola Hai Bhandari
Suresh Verma, Baba Hansraj Raghuwanshi
सबना दा रखवाला ओ शिवजी डमरूवाला जी
डमरू वाला उपर कैलाश रहंदा भोले नाथ जी...
शंभु... धर्मियो जो तारदे शिवजी पापिया जो मारदा पापिया जो मारदा ...
बड़ा ही दयाल मेरा भोले अमली...
ॐ नमः शिवाय शम्भु ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय शम्भु ॐ नमः शिवाय
महादेव तेरा डमरू डम डम, डम डम बजतो जय रे... हो
महादेवा... ॐ नमः शिवाय शम्भु
ॐ नमः शिवाय
सर से तेरी बेहती गंगा
काम मेरा हो जाता चंगा नाम तेरा जब लेता ता ता महादेवा...
शंभू... जय शंकर
मां पिया दे घरे ओ गोरा महला च रहन्दी जी महला च रेहन्दी
विच सम्साना राहंदा भोले नाथ जी
मां पिया दे घरे ओ गोरा महला च रहन्दी जी महला च रेहन्दी
विच सम्साना राहंदा भोले नाथ जी
कालेया कुंडला वाला मेरा भोले बाबा
किधर कैलाश तेरा डेरा ओ जी...
सर पे तेरे वो गंगा मैय विराजे ... मुकुट पे चंदा मामा ओ जी ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय शम्भु
ॐ नमः शिवाय
भंग जे पिंधा हे…

Top 15 Yoga Mudras
BENEFITS TO YOUR BODY

1.Setu Bandha Sarvangasana(Bridge Pose)

सर्वांगसम का अर्थ है सर्व + अंग = सर्वांगसम  और इस सेतु बंधा योग भी कहते है
इस तरह के आसन करने से पुरे शरीर के अंग का बहुत व्यायाम होता है और इसीलिए इसे सर्वांगसम  कहते है

कैसे करे : इस योगा को करने के लिए सबसे पहले आप घुटने को मोड़ के लेट जाये फिर अपने दोनों हाथ को पीठ के निचे ले जाकर मिलाइये और कोहनीयों के बल से अपने पीठ को उठाइये और  पैरो के घुटने से जमींन का ९० कोण  बनेगा तो  सेतु निर्माण होता  है 

भगवान सूर्य के अद्‍भुत मंत्र


ऊं रवये नम:

ऊं पुष्णे नम:

ऊं मित्राय नम:

ऊं मारिचाये नम:

ऊं आदित्याय नम:

ऊं भाष्कराय नम:

ऊं आर्काय नम:

ऊं सूर्याय नम:

ऊं भानवे नम:

ऊं खगये नम:

सूर्य देव जी की आरती


ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्र स्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ऊँ जय सूर्य भगवान॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान...॥

सारथी अरूण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी॥
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटी किरण पसारे। तुम हो देव महान॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान...॥

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते॥
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान...॥

संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान...॥

देव दनुज नर नारी, ऋषि मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते॥
स्त्रोत ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान...॥

तुम हो त्रिकाल रचियता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार॥
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल बृद्धि और ज्ञान॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान...॥

भूचर जल चर खेचर, सब के हो प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं॥
वेद पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्व शक्तिमान॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान...॥

पूजन करती दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान...॥

ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत के नेत्र रूवरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा॥
धरत सब ही तव ध्यान, ऊँ जय सूर्य भगवान॥

माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने और धन प्राप्ति का मंत्र
Maha Lakshmi Mantra for Money, Wealth, Success, Beauty & Business


धनवान बनने के लिए विष्णु लक्ष्मी मंत्र
ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:।

श्री लक्ष्मी मंत्र : 2
ॐ आं ह्रीं क्रौं श्री श्रिये नम: ममा लक्ष्मी
नाश्य-नाश्य मामृणोत्तीर्ण कुरु-कुरु
सम्पदं वर्धय-वर्धय स्वाहा:।

महामंत्र : 3
पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे
तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्।।

महामंत्र : 4
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:

महामंत्र : 5
ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये,
धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।

महामंत्र : 6
ऊं ह्रीं त्रिं हुं फट


महामंत्र : 7
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं अर्ह नम: महालक्ष्म्यै
धरणेंद्र पद्मावती सहिते हूं श्री नम:।


महामंत्र : 8
ऊं श्रीं, ऊं ह्रीं श्रीं, ऊं ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम

महामंत्र : 9
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।

लक्ष्मी प्राप्ति का 10वा मंत्र
ॐ श्रीं श्रियै नमः।

 लक्ष्मी माता की आरती  Maa Lakshmi (Laxmi) Ji Ki Aarti 


ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निस दिन सेवत, हर विष्णु धाता ॥ ॐ जय...॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग माता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ ॐ जय...॥

दुर्गारूप निरंजनि, सुख सम्पति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि-धन पाता ॥ ॐ जय...॥

तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता।
कर्म प्रभाव प्रकाशिनि, भवनिधि की त्राता ॥ ॐ जय...॥

जिस घर तुम रहती, तहं सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥ ॐ जय...॥

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न हो पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥ ॐ जय...॥

शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥ ॐ जय...॥

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनंद समाता, पाप उतर जाता ॥ ॐ जय...॥

 बृहस्पति के चमत्कारी मंत्र 






 ॐ बृं बृहस्पतये नम:।

 ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:।

 ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।

 ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:।

 ॐ गुं गुरवे नम:।

ॐ जय बृहस्पति देवा : श्री बृहस्पतिवार की आरती 



ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।
छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।

तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।

तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।

दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।

सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।

जो कोई आरती तेरी प्रेम सहित गावे।
जेष्टानंद बंद सो-सो निश्चय पावे।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।

श्री गणेश मंत्र : ||


ॐ गं गणपतये नमो नमः 

1) Ganesha Mantra
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥


2) Ganesha ji ShubhLabh Mantra
ॐ श्रीम गम सौभाग्य गणपतये।
वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥


3) Ganesha Gayatri ji Mantra
ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि,
तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥


शिव जी की आरती


ॐ जय शिव ओंकारा,भोले हर शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ हर हर हर महादेव...॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
तीनों रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥

अक्षमाला बनमाला मुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भोले शशिधारी ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता।
जगकर्ता जगभर्ता जगपालन करता ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठि दर्शन पावत रुचि रुचि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥

लक्ष्मी व सावित्री, पार्वती संगा ।
पार्वती अर्धांगनी, शिवलहरी गंगा ।। ॐ हर हर हर महादेव..।।

पर्वत सौहे पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ।। ॐ हर हर हर महादेव..।।

जटा में गंगा बहत है, गल मुंडल माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ।। ॐ हर हर हर महादेव..।।

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ हर हर हर महादेव..॥

ॐ जय शिव ओंकारा भोले हर शिव ओंकारा★★

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा ।। ॐ हर हर हर महादेव....।।..

शनि देव को प्रसन्न करने के यह 3 मंत्र





 "ॐ शं शनैश्चराय नमः"

 "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः"

 "ॐ शन्नो देविर्भिष्ठयः आपो भवन्तु पीतये। सय्योंरभीस्रवन्तुनः।।"

जय जय श्री शनिदेव - शनि आरती 

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।

सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥

जय जय श्री शनि देव....


श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टि चतुर्भुजा धारी।

नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥

जय जय श्री शनि देव....


क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।

मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥

जय जय श्री शनि देव....


मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।

लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥

जय जय श्री शनि देव....


देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।

विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥

जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।

Mahamrityunjay Mantra 108 times By Shankar Sahney I बहुत ही सुन्दर आवज में महामृत्युंजय मंत्र
#mahaMrityunjaymantra #महामृत्युंजयमंत्र #Mrityunjaymantra




ॐ त्र्य॑म्बकं यजामहे सु॒गन्धिं॑ पुष्टि॒वर्ध॑नम् ।

उ॒र्वा॒रु॒कमि॑व॒ बन्ध॑नान् मृ॒त्योर्मुक्षीय॒ मा ऽमृता॑त् ।
oṃ tryambakaṃ yajāmahe sugandhiṃ puṣṭi-vardhanam
urvārukam iva bandhanān mṛtyor mukṣīya mā 'mṛtāt








Word-by-word meaning of the Mahamrityunjaya Mantra is as follows:

ॐ aum = is a sacred/mystical syllable Aum in Hinduism, Jainism, Buddhism & Sikhism
त्र्यम्बकम् tryambakam = the three-eyed one (accusative case)
त्रि tri = "three"
अम्बक ambaka = "eye"
यजामहे yajāmahe = "we worship, we sacrifice" (1st person plural present indicative ātmanepada of *yaj-)
सुगन्धिम् sugandhim = "the fragrant, the virtuous, the supreme being" (accusative case),
पुष्टिवर्धनम् puṣṭi + vardhanam = "the bestower of nourishment, wealth, perfection" (compound word, accusative case), literally "him who possesses the growth of nourishment"
पुष्टि puṣṭi = "nourishment, increase, wealth, perfection"
वर्धन vardhana = "increase, growth"
उर्वारुकम् urvārukam = "fruit, a kind of cucumber" (neuter, nominativ case);
इव iva = "as"
in devanagari written together as उर्वारुकमिव urvārukamiva
बन्धनान् bandhanān = "from bondage, from the stalk/stem" (ablative case, the ending is actually -āt, which changes to -ān because of sandhi)
Note: bandhanāt here means "from the stem". Thus, read with urvārukam iva, "as a fruit from the stem"; the etymologically prior meaning of "from bondage" resonates here as the fruit is a simile for the worshipper being released from the bondage of death, see below.
मृत्योः mṛtyoḥ = "from death" (ablative case from mṛtyuḥ)
मुक्षीय mukṣīya = "may I be freed/released" (1st person singular present optative ātmanepada of the root muc-)
by sandhi, the last two words become मृत्योर्मुक्षीय mṛtyormukṣīya
मा ऽमृतात् mā 'mṛtāt = "not (mā) from immortality (amṛtāt)" (ablative case from amṛtam): negative particle mā is also constructed together with mukṣīya.
the last two words become मा ऽमृतात् mā-amṛtāt

आरती साई बाबा की




आरती श्री साई गुरुवर की परमानन्द सदा सुरवर की

जाके कृपा विपुल सुख कारी दुःख शोक संकट भ्ररहारी
शिर्डी में अवतार रचाया चमत्कार से तत्व दिखाया
कितने भक्त शरण में आए वे सुख़ शांति निरंतर पाए
आरती श्री साई गुरुवार की…

भाव धरे जो मन मैं जैसा साई का अनुभव हो वैसा
गुरु को उदी लगावे तन को समाधान लाभत उस तन को
आरती श्री साई गुरुवर की…

साईं नाम सदा जो गावे सो फल जग में साश्वत पावे
गुरुवार सदा करे पूजा सेवा उस पर कृपा करत गुरु देवा
आरती श्री साई गुरुवर की ….

राम कृष्ण हनुमान रूप में दे दर्शन जानत जो मन में
विविध धरम के सेवक आते दर्शनकर इचित फल पाते
आरती श्री साई गुरुवर की….

जय बोलो साई बाबा की ,जय बोलो अवधूत गुरु की
साई की आरती जो कोई गावे घर में बसी सुख़ मंगल पावे
आरती श्री साई गुरुवर की…

अनंत कोटि ब्रह्मांड नायक राजा धिराज योगी राज ,जय जय जय साई बाबा की
आरती श्री साई गुरुवर की परमानंद सुरवर की …

अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी वल्लभं




Kaun Kehte Hai Bhagwan Aate Nahin | Achyutam Keshavam Krishna Damodaram -Beautiful Krishna Bhajans

अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी वल्लभं || -2 कौन कहता है भगवान आते नहीं, तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं | अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी वल्लभं || कौन कहता है भगवान खाते नहीं, बेर शबरी के जैसे खिलते नहीं | अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी वल्लभं || कौन कहता है भगवान सोते नहीं, माँ यशोदा के जैसे सुलाते नहीं | अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी वल्लभं || कौन कहता है भगवान नाचते नहीं, तुम गोपी के जैसे नचाते नहीं | अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी वल्लभं || कौन कहता है भगवान नचाते नहीं, गोपियों की तरह तुम नाचते नहीं | अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी वल्लभं || अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी वल्लभं ||

     Ganapati Aarti: Sukhkarta Dukhharta


  ।। श्री गणेशाय नमः ।।


सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची |

नुरवी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची |

सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुराची |

कंठी झळके माळ मुक्ताफळाची || १ ||


जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती |

दर्शनमात्रे मनकामना पुरती ||

रत्नखचित फरा तूज गौरीकुमरा |

चंदनाची उटी कुंकुमकेशरा |

हिरे जडित मुकुट शोभतो बरा |

रुणझुणती नुपुरे चरणी घागरिया || 2 ||


लंबोदर पितांबर फनी वरवंदना |

सरळ सोंड वक्रतुंड त्रिनयना |

दास रामाचा वाट पाहे सदना |

संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवंदना |

जय देव जय देव जय मंगलमूर्ती |

दर्शनमात्रे मनकामना पुरती || ३ ||


।। श्री गणेशाय नमः ।।

श्री हनुमान की आरती : आरती कीजै हनुमान लला की...




श्रीहनुमानलला की आरती
आरती कीजै हनुमानलला की, दुष्टदलन रघुनाथ कला की।
जाके बल से गिरिवर कांपे, रोग दोष जाके निकट न झांपै।
अंजनिपुत्र महा बलदायी, संतन के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाये, लंका जारि सिया सुधि लाये।
लंका-सो कोट समुद्र-सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारि असुर संहारे, सियारामजी के काज संवारे।
लक्ष्मण मूर्छित परे सकारे, आनि संजीवन प्रान उबारे।
पैठि पताल तोरि जम-कारे, अहिरावन की भुजा उखारे।
बाएं भुजा असुरदल मारे, दहिने भुजा सन्तजन तारे।
सुर नर मुनि आरती उतारे, जय जय जय हनुमान उचारे।
कंचन थार कपूर लौ छाई, आरति करत अंजना माई।
जो हनुमानजी की आरति गावै, बसि बैकुण्ठ परम पद पावै।

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